मां ज्वालामुखी मंदिर

हिमालय की गोद में बसा देवभूमि हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्थलों की अधिकता के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं। हिमाचल प्रदेश में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मां ज्वाला जी का धाम हैं। यह धाम 51 शक्तिपीठों मे से एक है। मां ज्वाला जी के इस धाम में कई न सुलझे रहस्य हैं इन रहस्यों को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। मां ज्वाला जी का मंदिर कांगड़ा जिला हिमाचल प्रदेश में स्थित है। ज्वाला जी का मंदिर ज्वालामुखी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार इस घाटी में माता की जीभ गिरी थी। इसीलिए इसका नाम ज्वालामुखी मंदिर है। ज्वाला देवी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को जाता है उन्हीं के द्वारा इस पवित्र धार्मिक स्थल की खोज हुई थी इस मंदिर में माता के दर्शन ज्योति या ज्वाला के रूप में ही होते हैं।

मां ज्वालामुखी जी को जोता वाली माता भी कहा जाता है इस मंदिर में नो अलग-अलग जगहों से ज्योति ज निकल रही है। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने अपनी तरफ से पूरा जोर लगा दिया की जमीन के अंदर से निकलती।इस ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाए लेकिन वह इस ऊर्जा का पता लगाने में असमर्थ रहे। वहीं दूसरी तरफ मुगल साम्राज्य के महान राजा अकबर द ग्रेट ने भी इस ज्वाला को को बुझाने की कोशिश की परंतु वह भी नाकाम रहा था। अकबर के मन में जलती ज्वाला को देखकर अकबर के मन में शंका हुई। उसने ज्वालाओं को बुझाने के लिए सेना की सहायता से एक नहर का निर्माण करवाया। और सेना को आदेश दिया कि मंदिर में जल रही ज्वाला ओं पर पानी डालकर बुझा दिया जाए। और उसके निरंतर प्रयासों के बावजूद भी जब ज्वाला नहीं बुझी तो अकबर मां की अपार महिमा को समझ गया उसने 50 किलो सोने का छतर देवी मां के दरबार में चढ़ाया, लेकिन माता ने छतर कबूल नहीं किया और वह छतर गिरकर किसी अन्य पदार्थ में परिवर्तित हो गया आज भी अकबर का यह छतर मां ज्वाला जी के इस मंदिर में रखा हुआ है।
यहां हर साल नवरात्रों में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और रात को विशाल जागरण पूजन किया जाता है मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस मेले में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है ताकि इस मेले में आए श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई कठिनाई न हो। सरकार की तरफ से बसों का भी बंदोबस्त किया जाता है। ज्वालामुखी मंदिर के समीप गगल हवाई अड्डा भी है। जोकि इस मंदिर से 46 किलोमीटर दूर स्थित है। इस हवाई अड्डे से इस मंदिर तक जाने के लिए बस तथा कार सुविधा उपलब्ध है इस मेले में श्रद्धालुओं के लिए खाने की भी व्यवस्था की जाती है सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।

पृथ्वी के गर्भ से निकल रही 9 ज्वालाएं

यहां पर पृथ्वी के गर्भ से नो अलग अलग ज्वालाएं निकल रही है जिसके ऊपर यह मंदिर बना है है इन ज्योतियों को महाकाली,अन्नपूर्णा,चंडी,हिंगलाज, विंध्यवासिनी,महालक्ष्मी,सरस्वती,अंबिका,अंजी देवी के नाम से जाना जाता है इस मंदिर का निर्माण राजा भूमि चांद ने करवाया था

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