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हिमालय की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्थलों व पर्यटक स्थलों के कारण विश्व प्रसिद्ध है और विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मां छिन्नमस्तिका धाम भी हिमाचल प्रदेश की पवित्र भूमि पर स्थित है यह स्थान हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है मां चिंतपूर्णी मंदिर(Maa Chintpurni ji Temple) जिला ऊना हिमाचल में स्थित है यह मंदिर तहसील भरवाई से 4 किलोमीटर दूर  स्थित है। मां चिंतपूर्णी जी को चिंता दूर करने वाली देवी भी कहा जाता है मां चिंतपूर्णी जी अपने भक्तों की सारी चिंताओं को दूर करती है।

मां छिन्नमस्ता धाम


मां चिंतपूर्णी जी (Maa Chintpurni ji) का मंदिर 51 सिद्ध पीठों मे से एक है तथा इसके मुख्य 7 पीठ है। प्राचीन कथाओं के अनुसार कहा जाता है हिमालय की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्थलों व पर्यटक स्थलों के कारण विश्व प्रसिद्ध है और विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मां छिन्नमस्तिका धाम भी हिमाचल प्रदेश की पवित्र भूमि पर स्थित है यह स्थान हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है मां चिंतपूर्णी मंदिर जिला ऊना हिमाचल में स्थित है यह मंदिर तहसील भरवाई से 4 किलोमीटर दूर  स्थित है। मां चिंतपूर्णी जी को चिंता दूर करने वाली देवी भी कहा जाता है मां चिंतपूर्णी जी अपने भक्तों की सारी चिंताओं को दूर करती है।
मां चिंतपूर्णी जी का मंदिर 51 सिद्ध पीठों मे से एक है तथा इसके मुख्य 7 पीठ है। प्राचीन कथाओं के अनुसार कहा जाता है 14वीं शताब्दी में माई दास नामक दुर्गा भक्त ने इस स्थान की खोज की थी माई दास का जन्म अठूर गांव पटियाला में हुआ था माई दास अपने दो भाइयों के साथ रहते थे अपना सारा दिन माता की पूजा पाठ में लगाते थे परिवार के कामकाज में अपना हाथ नहीं बंटा पाते थे उनके भाइयों को इस बात पर बहुत गुस्सा आता था एक दिन उन्होंने माई दास को अपने से अलग कर दिया। इसके बावजूद भी माई दास ने अपना जीवन पूजा पाठ में ही व्यतीत रखा। 1 दिन माई दास अपने ससुराल जा रहे थे ज्यादा सफर करने के कारण थक चुके थे और वटवृक्ष के नीचे आराम करने बैठ गए इसी वटवृक्ष के नीचे आजकल दुर्गा भगवती जी का मंदिर है। पहले यहां बहुत घना जंगल हुआ करता था। परंतु आज यहां सुंदर मां चिंतपूर्णी जी का धाम है थकावट के कारण माय दास की आंख लग गई और स्वप्न में उन्हें दिव्या तेजस्वी कन्या के दर्शन हुए जो उन्हें कह रही थी कि माई दास। कि तुम इसी वटवृक्ष के नीचे मेरी पिंडी बनाकर मेरी पूजा करो। तुम्हारे सब दुख दूर हो जाएंगे। और यहां तक कि तुम्हें मौत तक की चिंता का डर नहीं रहेगा। इस कारण मां चिंतपूर्णी जी के पवित्र दाम की खोज हुई थी। इस स्थान पर प्रकृति का सुंदर नजारा देखने को मिलता है।

चिंतपूर्णी में मनाए जाने वाले उत्सव

चिंतपूर्णी मंदिर में शारदीय,ग्रीष्म ऋतु नवरात्रि काफी धूमधाम से बनाए जाते हैं नवरात्रि में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है इस मेले में लाखों श्रद्धालु मां के चरणों में हाजिरी लगाते हैं नवरात्रि प्रत्येक रात्रि को विशाल जागरण का आयोजन किया जाता है हिमाचल सरकार की तरफ से मेले में हर प्रकार की सुविधा दी जाती है सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है और श्रद्धालुओं की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है सुरक्षा के इंतजामों के लिए पुलिस तथा आर्मी की सहायता ली जाती है हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से श्रद्धालुओं को विशेष सरकारी बसों की सुविधा भी दी जाती है जो श्रद्धालुओं को आसानी से मां चिंतपूर्णी जी के दरबार में पहुंचाते हैं बसों को भरबाई आगे नहीं भेजा जाता है पंजाब से इस मेले में ज्यादा श्रद्धालुओं का आवाजाही रहती है इस मेले में लंगरों की भी व्यवस्था की जाती है।

12 जून 1987 से इस मंदिर का प्रबंध हिमाचल सरकार के नियंत्रण में है इसके लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की गई है और जिलाधीश ऊना इसके आयुक्त हैं। उपमंडल अधिकारी अम्ब प्रधान और सहायक आयुक्त है और मंदिर का काम का तहसीलदार देखते हैं।

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