संत कबीर का जीवन परिचय,Sant Kabir Biography , कबीर जीवन परिचय

जीवन परिचय

संत कबीर जी

कबीर जी निर्गुण ज्ञान मार्गी शाखा के कवि माने जाते हैं। इनका जन्म 1398 ई॰काशी में हुआ था। बे स्वामी रामानंद के शिष्य थे नीरू और नीमा नामक बुनकर दंपति ने इनका पालन-पोषण किया। कबीर ने भी उन्हीं के व्यवसाय को अपनाया।
कबीर ने विधिवत शिक्षा नहीं पाई थी कबीरदास अपने जीवन में अनेक साधु-संतों की संगति में रहे उन्होंने देश में व्यापक आडंबरों, कुर्तियों का डटकर विरोध किया उन्होंने कहा हरि का बजे सो हरि का होई, मसि कागद छुयो नहीं कलम कहीं नहीं हाथ,, भारतीय इतिहास में कबीर पहले ऐसे व्यक्ति से जिन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता का प्रयास किया। उनका मानना था कि हमें मिलजुल कर रहना चाहिए चाहे हम किसी भी धर्म, संप्रदाय, वर्ग से क्यों ना हो। कबीर को एक महान समाज सुधारक को भी माना जाता है। अपनी रचनाओं में कबीर ने ईश्वर की निर्गुण उपासना, गुरु भक्ति पर बल दिया। सन 1578 ई॰ में कबीर जी का देहांत हो गया।


रचनाएं-कबीर कबीर द्वारा रचित एक ही काव्य ग्रंथ मिलता है जिसका नाम है बीजक। इस ग्रंथ के साखी,सवद,रमैणी 3 भाग है कबीर की वाणी के कुछ शब्द श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी संकलित है।

भाषा शैली- कबीर जी ने जन भाषा को अपनाया विभिन्न देशों की भाषाओं के शब्द अपनाने पर उनकी भाषा को संधुक्क़डी भाषा भी कहा जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल कबीर को भाषा डिक्टेटर मानते हैं।

सामाजिक सुधार-कबीर जी ने उस समय कई सामाजिक सुधार किए थे उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया था क्योंकि उसमें हिंदू मुस्लिम दोनों धर्म विनाश की राह की ओर अग्रसर थे वह नहीं चाहते थे कि यह दोनों धर्म एक दूसरे के खिलाफ हिंसक बने। हिंदू मुस्लिम एकता पर उन्होंने कई दोहे भी लिखे हैं_अरे इन दोहुन राह न पाए, हिंदू अपनी करै बडा़ई गागर तुवन न देई___। इस दोहे का अर्थ है-कबीर का आशय हिंदुओं और मुसलमानों से है दोनों धर्मों के लोग सच्चे धर्म के रास्ते पर ना चलकर छुआछूत,दुराचार और मांसाहार के रास्ते पर चलते हैं हृदय की शुद्धता और पवित्रता ही सच्चा धर्म है परंतु दोनों धर्मों को मानने वाले झूठे कर्मकांड में फंसे हैं इसलिए कबीर कहते हैं कि दोनों का रास्ता गलत है।

निष्कर्ष-महात्मा कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के मार्ग की ओर संकेत किया है सच्चे धर्म का रास्ता ही ईश्वर प्राप्ति में सहायक है झूठे आडंबर कर्मकांड और हिंसा को कभी धर्म का मार्ग नहीं मानते कबीर के अनुसार सदाचार ही धर्म का सही मारक है हिंदू और मुसलमानों को इसी मार्ग पर चलना चाहिए। इस संसार में हिंसा से कुछ भी नहीं मिल सकता है अगर मुक्ति का मार्ग चाहते हो तो सदाचार के मार्ग पर चलो। अपने गुरुओं के बताएं मार्ग पर चलो क्योंकि सच्चा गुरु ही शिष्य को भवसागर पार कराता है। कबीर जी कहते हैं कि हमें प्रकाश की ओर जाना चाहिए ना की अंधकार की ओर। जो अंधकार की ओर जाएगा उसका विनाश भी उसके साथ ही जायेगा। कबीर जी ने स्त्रियों की दशा में सुधार लाने के लिए उसमें काफी सुधार किए थे। कबीर जी का नाम इस दुनिया में अमर है और रहेगा।

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