इंसानों के लिए सबसे बेहतर क्या है? शाकाहार(veg) मांसाहार (Non veg) इन दोनों में से इंसानों के लिए ज्यादा उपयुक्त किया है इस विषय पर कई सदियों से विवाद चला आ रहा है आज हम इस पोस्ट के जरिए वेद,गीता और कुछ हद तक विज्ञान के दृष्टिकोण से देखने का यह प्रयास करेंगे कि शाकाहार अथवा मांसाहार में से हमारे लिए क्या ज्यादा उपयुक्त है। यह बात हम सबको पता है कि सनातन धर्म में जीव हत्या को महा पाप माना गया है। वेदों में मांस खाने को लेकर स्पष्ट रूप से मना किया गया है। ऋग्वेद के मंडल 10मांस खाने के प्रतिबंध में स्पष्ट रूप से मना किया गया है ऋग्वेद के मंडल 10 में यह बात कही गई है कि जो मनुष्य आश्रम अथवा किसी अन्य पशुओं का मांस सेवन कर उसको अपने शरीर का बाग बनाता है।
गौ की हत्या कर अन्य जनों को दूध आदि से वंचित रखा है। अग्नि स्वरूप राजा अगर वह दुष्ट व्यक्ति किसी और प्रकार से ना सुने तो आप उसका मस्तक शरीर से विदारित करने के लिए संकोच मत कीजिए। वहीं हम बात करें श्रीमद भगवत गीता किस ग्रंथ में किसी भी भोजन को लेकर सख्त मनाही नहीं है इसमें भोजन को तीन श्रेणी में कृष्ण जी (Shri Krishna) ने विभाजित किया है। पहला सात्विक, दूसरा राजसी और तीसरा तामसिक। गीता के 17 अध्याय के दूसरे श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं जो भोजन सात्विक व्यक्तियों को प्रिय होता है। वह आयु बढ़ाने वाला, जीवन को शुद्ध करने वाला,बल, तृप्ति तथा स्वास्थ्य सुख प्रदान करने वाला होता है। ऐसा भोजन रसमय स्वास्थ्य तथा हृदय को भाने वाला होता है। यह सात्विक भोजन कहलाता है। अगर हम इस श्लोक को माने तो सात्विक भोजन को श्रेष्ठ बताया गया है। प्राचीन काल में भी विद्वान पुरुष ऐसा ही भोजन चुनते थे।
जो स्वास्थ्य तथा आयु को बढ़ाने वाला होता था। इस भोजन की श्रेणी में दूध के सभी व्यंजन कंदमूल,फल, आहार और सब्जियां दालें एवं धान आते हैं। यह स्वादिष्ट व्यंजन हल्के और लाभदायक होते हैं। इसी के अगले श्लोक अर्थात संख्या नंबर 9 श्री कृष्ण (Shri Krishna) कहते हैं। जब शाकाहारी भोजन कड़वा, अत्यधिक खट्टा, नमकीन, गरम, अत्यधिक मिर्ची, नमक आदि मसालों के साथ पकाया जाता है। तो वह भोजन सात्विक से राजसी बन जाता है। भोजन की इस श्रेणी में भोजन अपना मूल अस्तित्व खो उपभोग की चीज बन जाता है। ऐसा भोजन मनुष्य अपनी भूख शांत करने के लिए नहीं बल्कि तृप्ति शांत करने के लिए करता है। ऐसा भोजन स्वादिष्ट तो होता है परंतु इसके परिणाम बहुत बुरे होते हैं।
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