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अधिकार वस्तुत दावे हैं परंतु हर दावा अधिकार नहीं हो सकता है क्योंकि कोई भी दावा अधिकार नहीं है यदि वह मान्यता प्राप्त नहीं हैं। दावे जब समाज द्वारा मान्य हो जातें हैं तो अधिकार बन जाते हैं जब वे राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त और लागूं किए जाते हैं तो अधिकार बन जाते हैं।
अधिकार का अर्थ (IGNOU MPS assignment 2025)
अधिकार राज्य के अंतर्गत व्यक्ति को प्राप्त होने वाली ऐसी अनुकूल परिस्थितियां और अवसर है जिसे उसे आत्मविकास में सहायता मिलती है। अधिकार मानव व्यक्तित्व के विकास हेतु आवश्यक सामाजिक दावे हैं। अधिकार बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को समान रूप से प्राप्त होते हैं सामान्य अर्थ में अधिकार किसी व्यक्ति या समूह को कानून या समाज द्वारा प्रदान की गई शक्ति या अनुमति जो उन्हें कुछ करने या प्राप्त करने का हक देती है। यह व्यक्ति की स्वतंत्रता, गरिमा और न्याय की रक्षा करने में मदद करता है और उन्हें सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करता है।
अधिकार की परिभाषाएं
हैराल्ड जे. लाॅस्की के अनुसार,"अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियां हैं जिनके बिना आमतौर पर कोई व्यक्ति अपना पूर्ण आत्मविकास नहीं कर सकता।"
विल्डे के अनुसार," एक अधिकार कुछ निश्चित कार्यकलापों के व्यवहार में स्वतंत्रता हेतु एक तर्कसंगत दावा है"
अधिकारों की प्रकृति
अधिकारों की प्रकृति अधिकारों के ही नितांत अभिप्राय में निहित है अपनी प्रकृति में अधिकार नकारात्मक अथवा सकारात्मक हो सकते हैं जिसकी विस्तृत चर्चा इस प्रकार है -
नकारात्मक अधिकार
नकारात्मक अधिकार अपनी प्रकृति में अविच्छेध होते हैं अर्थात इन्हें धारक से छीना नहीं जा सकता है। नकारात्मक अधिकार राज्य की शक्तियों पर रोक लगाते हैं और व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करते हैं। नकारात्मक अधिकार व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करने में मदद करते हैं। पूंजीवादी राज्यों में नकारात्मक अधिकारों पर विशेष बल दिया जाता है।
उदाहरण के लिए
स्वतंत्रता का अधिकार
जीवन का अधिकार
समानता का अधिकार
सकारात्मक अधिकार
सकारात्मक अधिकार वे अधिकार हैं जो राज्य या अन्य व्यक्तियों को कुछ करने के लिए बाध्य करते हैं। ये अधिकार व्यक्ति को विशिष्ट सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करने में मदद करते हैं। अर्थात व्यक्ति के आत्म विकास में सहायक जिन गतिविधियों में राज्य सकारात्मक रूप में हस्तक्षेप करता है वे सकारात्मक अधिकार कहलाते हैं। समाजवादी राज्यों में सकारात्मक अधिकारों पर विशेष बल दिया जाता है।सकारात्मक अधिकार व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा की पूर्ति करने में मदद करते हैं।
उदाहरण के लिए
शिक्षा का अधिकार
स्वास्थ्य का अधिकार
रोजगार का अधिकार
निष्कर्ष - निष्कर्ष के तौर पर हम कर सकते हैं कि अधिकार राज्य के अंतर्गत व्यक्ति को प्राप्त होने वाली ऐसी अनुकूल परिस्थितियां और अवसर है जिसे उसे आत्मविकास में सहायता मिलती है। अधिकार ही व्यक्ति को गरिमा पूर्ण जीवन जीने में मदद करते हैं। अधिकार ही राज्य पर अंकुश लगाते हैं। अधिकारों की प्रकृति नका
रात्मक और सकारात्मक है।
हिमाचल प्रदेश में 10 वीं और 12 वीं कक्षाओं के नतीजे कब जारी होंगे। नतीजे जारी होने की संभावित तारीख क्या है? आपके इन सभी प्रश्नों का उत्तर हम देने की कोशिश करेंगे। छात्राओं द्वारा लगातार विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हमसे बार बार पूछा जा रहा है कि Hp Board Result कब जारी करेगा। छात्रों की परेशानी का कारण सोशल मीडिया पर विभिन्न भ्रामक पोस्ट है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड पहले 12 वीं कक्षा का परिणाम जारी करेगा। इसके बाद 10 वीं कक्षा का परिणाम जारी किया जाएगा। 12 वीं कक्षा के नतीजे मई महीने के 15 मई से पहले जारी होने की पूरी संभावना है। और 10 वीं कक्षा के नतीजे 20 मई संभावित तारीख तक घोषित किए जा सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने हाल ही में कहा था कि 15 मई से पहले नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे अब देखना होगा बोर्ड कब जारी करेगा।
आप किसी भी भ्रामक पोस्ट पर यकीन न करें। www.hpbose.org पर विजिट करके आप अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं। बोर्ड द्वारा इसी बेवसाइट पर नतीजे घोषित किए जाएंगे।
अमरकांत(amarkant biography in Hindi) जी का जन्म 1 जुलाई 1925 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बागलपुर(नागरा) नामक गांव में हुआ था इनका वास्तविक नाम श्री राम वर्मा है 1948 ईस्वी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इन्होंने बी.ए की परीक्षा पास की। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण इनकी पढ़ाई में बाधा पड़ी।
साहित्य सृजन की रुचि इन्हें बचपन से थी और किशोर अवस्था से ही इन्होंने कहानी लेखन प्रारंभ कर दिया था अमरकांत ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत पत्रकारिता से की थी इन्होंने दैनिक अमृत पत्रिका तथा दैनिक भारत के संपादकीय विभागों में काम किया। कुछ समय तक कहानी पत्रिका के संपादन मंडल से भी जुड़े रहे।
रचनाएं :-
कहानी संग्रह :- जिंदगी की जोक, दोपहर का भोजन, देश के लोग, मित्र मिलन, मौत का नगर, सुख-दुख, कुहासा ।
उपन्यास:- सूखा पत्ता, ग्राम सेविका, काले उजले दिन, बीच की दीवार, आकाश पक्षी, खुदीराम।
भाषा शैली:- अमरकांत (amarkant jivan Parichay) की भाषा सरल और संजीव है जो पाठकों को आकर्षित करती है आज के सामाजिक जीवन और उसके अनुभवों को अमरकांत ने यथार्थवादी ढंग से अभिव्यक्त किया है उन्होंने अपनी कहानियों में शहरी और ग्रामीण जीवन का यथार्थ चित्रण किया है मुहावरे और शब्दों के प्रयोग से उनकी कहानियों में जीवंतता आती है वे जीवन की कथा उसी ढंग से कहते हैं जिस ढंग से जीवन च
लता है।